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कुछ आग बाकी है

कुछ आग मुझमें भी है एक विश्वास मुझमें भी है । चाँद धरती पे उतार दूंगा कुछ खास मुझमें भी है । मैं बिखरा हूँ पर टूटा नही जीतने की आस मुझमें भी है वो मुझे मुर्दा समझ रहे है बची आखरी साँस मुझमें भी है । मैं रो देता हूँ दूसरों के गम में भी ज़िन्दा एक इंसाँ मुझमें भी है ।