एक दीप
जब अंधकार का साया हो मन चिंता से भरमाया हो जब खालीपन हो भरा पड़ा तब प्यार से मुझे बुलाना तुम और एक दीप जलाना तुम ।। जब जमघट छँट जाता है मन कुंठा से भर जाता है जब पास न हो कोई मेरे तब पास मेरे आना तुम और एक दीप जलाना तुम ।। - चिंतन जैन ©