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मुझे पता चलता है

मुंतज़िर में खुद रहता हूँ उसके इशारे का वो पलके भी झपकायें तो मुझे पता चलता है उसे मैंने अपने ज़हन में इस कदर बसा लिया है मेरी याद भी उसे आये तो मुझे पता चलता है ।।                                        - चिंतन जैन

ख्वाब

मैं ख्वाब भी देखूँ तो वो नज़र आती है अब मेरी नींदे भी मेरी नही रही ।।          - चिंतन जैन