ऊँचाई

गुमाँ है आसमाँ को उसकी ऊँचाई पे
अभी उसने हमारे पर नही देखे ।।
                - चिंतन जैन ©

Comments

Popular posts from this blog

समय का चक्र ( कविता )

कविता

सिलसिला