बारिश

दिल कुछ यूं आबाद करें , आओ भीगें बारिश में ।
फिर से बचपन याद करें , आओ भीगें बारिश में
साथ मिलकर भागें दौड़ें , इस रिमझिम रिमझिम बारिश में ।
नाव बनाये कागज़ मोड़ें , इस रिमझिम रिमझिम बारिश में।।।
                     - चिंतन जैन ©

Comments

Popular posts from this blog

मिजाज

समय का चक्र ( कविता )

मुझे पता चलता है