ग़ज़ल | कविता | शायरी
यह रात तब मंज़र-ए-शब-ताब होगी
मुद्दतों बाद जब उनसे मुलाकात होगी ।
आसाँ नही है मेरे दिल को यूँ जीत जाना
आपमें कुछ तो जरूर बात होगी ।
मैं नही लिख सकता उन पर सिर्फ ग़ज़ल
उन पर लिखूंगा तो पूरी किताब होगी ।
ठान कर निकलोगे जब अपनी राहों पर
मंज़िल भी तुमसे मिलने को बेताब होगी ।
- चिंतन जैन
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