समय का चक्र ( कविता )

कल गद्दी पर बैठेंगे राम
सुन हर्षित हुई जनता तमाम ।

पर वक़्त कहाँ यह चाहता था 
उसका कुछ और इरादा था ।

रानी ने तब वचन मांगा
बेटे के लिए शासन मांगा । 

और मिला राम को वन का वास
हुए निष्फल सारे प्रयास ।

पर राम को वचन निभाना था 
उनको तो वन में जाना था ।

जब कर्म खेल दिखलाता है
भगवान भी नही बच पाता है ।

तब मानव की भी क्या बिसात
जो काट सके भाग्य की बात

जब राम चले गए वन में 
तो दशरथ भी गए शयन में ।

जब चक्र समय का चलता है 
तो उगता सूरज ढलता है ।।
        
           - चिंतन जैन




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