बात उड़ायी जाएगी । ( ग़ज़ल )
बातों बातों में मेरी भी बात उड़ायी जाएगी
इसी शहर के आसमान में खाक उड़ायी जाएगी ।।
होगा जब भी ज़िक्र इश्क़ का यही करेंगे लोग सभी
मेरे बारे में कहकर मज़ाक उड़ायी जाएगी ।।
देखेगी यह दुनिया सारी जब ज़नाज़े पर मेरे
तेरे हाथों से मुझ पर चादर उड़ायी जाएगी ।।
मैं तो खुद में मिट्टी हूँ यह आँधी क्या कर पाएगी
होगा कुछ भी न इससे बस धूल उड़ायी जाएगी ।।
आएगा इक दिन भी ऐसा मैं रहूँ या न रहूँ
फिर भी "चिंतन" नाम से गुलाल उड़ायी जाएगी ।।
- चिंतन जैन
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