यही सदाएँ आयी है ( ग़ज़ल )
मेरे दिल से हरदम बस अब यही सदाएँ आयी है
पाकर तुमको ही तो मैंने दुनिया पूरी पाई है ।
तन्हाई में जो लिखी बस उसे मोहब्बत मान कर
नाम तेरा पढ़-पढ़कर मैंने गज़ले वही सुनाई है ।
जरूरत नही चाँद को दुआ की चमकने के लिए
फिर भी तुमकों सालगिरह की खूब-खूब बधाई है ।
है मर्ज़-ए-दिल का हाल बुरा तो बात मेरी अब मानो
तुमइश्क़ करो बस इश्क़ करो अब इश्क़ में ही भलाई है।।
- चिंतन जैन
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